Voter Adhikar Yatra: 243 सीटों वाले बिहार में सिर्फ 174 पर ही फोकस क्यों? क्या है कांग्रेस की असली रणनीति

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Voter Adhikar Yatra

Voter Adhikar Yatra: बिहार की राजनीति में बीते 15 दिनों से सबसे ज्यादा चर्चा में रही राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा आखिरकार संपन्न हो गई। इस यात्रा ने ना सिर्फ राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी, बल्कि महागठबंधन की भावी रणनीति और कांग्रेस की भूमिका को लेकर भी नए समीकरण खड़े कर दिए हैं।

1300 किमी का सफर, 174 विधानसभा क्षेत्रों पर फोकस

राहुल गांधी ने इस यात्रा में करीब 1300 किलोमीटर की दूरी तय की और 23 जिलों के 174 विधानसभा क्षेत्रों को कवर किया। सवाल यह उठता है कि 243 सीटों वाले बिहार में आखिर सिर्फ 174 पर ही फोकस क्यों?

दरअसल, 2020 विधानसभा चुनाव में महागठबंधन ने इन्हीं 174 सीटों में से 74 सीटें जीती थीं। यही वजह है कि कांग्रेस और RJD ने इन्हीं इलाकों को दोबारा टारगेट किया

  • पिछली बार का आंकड़ा: कांग्रेस का कमजोर प्रदर्शन
  • 2020 चुनाव में RJD ने इन 174 सीटों में से 104 पर चुनाव लड़ा और 50 जीतीं।
  • कांग्रेस ने 51 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन केवल 14 सीटें जीतीं।
  • CPI(ML) और लेफ्ट पार्टियों ने 14 सीटों पर चुनाव लड़कर 9 पर जीत दर्ज की।
  • यहां साफ है कि महागठबंधन को इस बार सत्ता में वापसी करनी है तो शेष 100 हारी हुई सीटों पर फोकस करना होगा।

कांग्रेस का असली टारगेट: 31 हारी हुई सीटें

2020 चुनाव में करीब 31 सीटें ऐसी थीं जहां हार का अंतर 10,000 वोटों से कम था। इनमें-

16 सीटें – हार का अंतर 5,000 से कम।

15 सीटें – हार का अंतर 5,000 से 10,000 के बीच।

यानी, अगर कांग्रेस और महागठबंधन इन सीटों पर महज 4% वोट स्विंग कर लें तो समीकरण बदल सकता है।

जातीय समीकरण पर फोकस

यही वजह है कि कांग्रेस ने दलित और अति पिछड़ा वोटबैंक पर नजर गड़ा दी है।

कांग्रेस ने रविदास समुदाय के राजेश राम को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर दलित वोटरों को साधने की कोशिश की है।

पासवान और मल्लाह (मुकेश सहनी) समुदाय को साधने पर भी जोर दिया जा रहा है।

बिहार में मल्लाह वोटबैंक लगभग 3.5% माना जाता है, जिसे जोड़ने के लिए राहुल गांधी ने यात्रा के दौरान लगातार मुकेश सहनी को साथ रखा।

कांग्रेस की रणनीति: दबाव बनाकर सीटें पाना

2020 में कांग्रेस को महागठबंधन ने 70 सीटें दीं, लेकिन पार्टी सिर्फ 19 सीटें जीत पाई। नतीजतन, हार का ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ा गया।

इस बार राहुल गांधी की यह लंबी यात्रा कांग्रेस को सीट बंटवारे में मजबूत स्थिति दिलाने का हथियार बन सकती है। कांग्रेस अब “जीतने वाली सीटों” पर दावा ठोकेगी।

राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा ने बिहार में कांग्रेस की मौजूदगी और ताकत को नए सिरे से स्थापित करने का काम किया है। अब बड़ा सवाल यही है कि कांग्रेस इस माहौल को अगले महीनों तक कैसे बरकरार रखती है और महागठबंधन में कितनी जीतने वाली सीटें अपने हिस्से ला पाती है।

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