
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राज्य की सियासत में घमासान तेज हो गया है। दरभंगा में विपक्षी मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी मां को अपशब्द कहे जाने के बाद उठे विवाद ने अब पूरे राज्य को राजनीतिक उबाल में डाल दिया है। इसी मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने एनडीए सहयोगी दलों के साथ मिलकर बिहार बंद का आह्वान किया। वहीं अब लालू यादव ने भी बिहार बंद पर पलटवार करते हुए बीजेपी को बिहारियों को हल्के में ना लें का तंज कसा है।
लालू यादव का पलटवार
इसी बीच राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव भी खुलकर मैदान में उतर आए। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर उन्होंने तीखी प्रतिक्रिया दी। लालू ने बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाते हुए लिखा:
“क्या प्रधानमंत्री मोदी ने अपने कार्यकर्ताओं को आदेश दिया है कि वे बिहारियों की माताओं-बहनों और बेटियों को गाली दें? बीजेपी के गुंडे-मव्वाली सम्मानित शिक्षिकाओं, राह चलती महिलाओं, छात्राओं, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और पत्रकारों के साथ गाली-गलौज और हाथापाई कर रहे हैं। यह बिहार है, गुजराती लोग बिहारियों को हल्के में न लें।”
बढ़ा राजनीतिक पारा
लालू यादव के बयान ने बिहार की राजनीति का पारा और चढ़ा दिया। राजद और कांग्रेस ने इस बंद को “फ्लॉप शो” करार दिया, जबकि बीजेपी का कहना है कि “जो प्रधानमंत्री और उनकी मां का अपमान करेगा, जनता उसे कभी माफ नहीं करेगी।”
बिहार बंद के दौरान सड़कों पर BJP
बंद के दौरान पटना समेत राज्य के अधिकांश जिलों में बीजेपी कार्यकर्ता और नेता सड़क पर उतर गए। जगह-जगह प्रदर्शन हुए और महिला मोर्चा ने अगुवाई करते हुए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के खिलाफ नारेबाजी की। कई जिलों में झड़प और हंगामे की खबरें भी सामने आईं। बीजेपी ने आरोप लगाया कि यह बंद सिर्फ एक राजनीतिक कार्यक्रम नहीं बल्कि “प्रधानमंत्री और उनकी मां के सम्मान की रक्षा का सवाल” है।
विवाद की जड़ – दरभंगा की घटना
यह पूरा विवाद दरभंगा की उस घटना से जुड़ा है, जहां वोटर अधिकार यात्रा के मंच से पीएम मोदी और उनकी दिवंगत मां को लेकर अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया। बीजेपी ने इसे महिलाओं और मातृत्व का अपमान बताते हुए इस पर माफी की मांग की।
चुनावी समीकरण पर असर?
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह विवाद अब सिर्फ बयानबाजी तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि बिहार चुनाव 2025 में बड़ा मुद्दा बन सकता है। बीजेपी इसे “सम्मान और भावनाओं” का सवाल बताकर जनता से जोड़ने की कोशिश कर रही है, वहीं विपक्ष इसे “राजनीतिक नौटंकी” कहकर जनता का ध्यान असली मुद्दों से हटाने का आरोप लगा रहा है।