Bihar Election 2025: महिला वोटर बनेंगी नीतीश कुमार की ढाल, महागठबंधन अब भी सुस्त क्यों?

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Bihar Election 2025

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीतियों को धार देने में जुटे हैं। लेकिन इस बार सबसे बड़ा सवाल यह है कि- आखिर कौन-सा वोट बैंक चुनावी समीकरण बदलने की ताकत रखता है? इसका सीधा जवाब है– महिला मतदाता।

पिछले तीन विधानसभा चुनावों में बार-बार यह साबित हो चुका है कि बिहार की राजनीति में अब केवल जातीय समीकरण से सत्ता का रास्ता तय नहीं होता, बल्कि आधी आबादी यानी महिला वोटर्स ही निर्णायक साबित होती हैं। और यही कारण है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिला वोटरों को लुभाने के लिए कई योजनाओं और घोषणाओं की झड़ी लगा दी है।

महिला मतदाता: ‘सहायक’ से ‘निर्णायक’ तक का सफर

इतिहास गवाह है कि एक दौर था जब बिहार में महिला मतदान प्रतिशत बेहद कम था।

  • वर्ष 1962 में महिलाओं का मतदान सिर्फ 32% था, जबकि पुरुषों का मतदान 55%
  • वर्ष 2000 तक यह लैंगिक अंतर लगभग जस का तस बना रहा।
  • लेकिन 2005 के बाद तस्वीर पूरी तरह बदल गई।
  • 2010 चुनाव: महिलाओं ने 54% मतदान किया, जबकि पुरुष सिर्फ 51% पर सिमटे।
  • 2015 चुनाव: महिलाओं का मतदान प्रतिशत बढ़कर 60% हो गया, जबकि पुरुष 50% पर टिके।
  • 2020 चुनाव: 243 सीटों में से 167 पर महिलाओं ने पुरुषों से ज्यादा वोट डाले। कुल महिला मतदान 60%, जबकि पुरुषों का 54%. स्पष्ट है कि बिहार में महिला मतदाता अब हर चुनाव का ‘गेम चेंजर’ बन चुकी हैं।

नीतीश की महिला केंद्रित राजनीति: योजनाओं की लंबी फेहरिस्त

  • नीतीश कुमार ने अपने राजनीतिक करियर में हमेशा महिलाओं को ‘साइलेंट वोट बैंक’ की तरह साधा है।
  • शराबबंदी: महिलाओं के बीच यह निर्णय बेहद लोकप्रिय साबित हुआ।
  • साइकिल योजना: स्कूली छात्राओं को आत्मनिर्भर बनाने की बड़ी पहल।
  • पंचायत में 50% आरक्षण: महिलाओं को राजनीतिक भागीदारी में बढ़त मिली।
  • 35% आरक्षण: सरकारी व संविदा नौकरियों में महिलाओं को विशेष स्थान।
  • आशा और आंगनबाड़ी सेविकाओं का मानदेय बढ़ाना।
  • पिंक बस’ योजना: महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा की नई पहल।

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि ये योजनाएं ही नीतीश को बार-बार महिलाओं की पहली पसंद बनाती रही हैं।

विपक्ष की सुस्ती: महागठबंधन महिला मोर्चे पर खाली क्यों?

नीतीश की घोषणाओं के उलट, विपक्षी महागठबंधन यानी RJD, कांग्रेस और वामपंथी दल अभी तक महिला वोटरों को साधने में पीछे हैं। न तो अब तक महिलाओं के लिए कोई ठोस घोषणा हुई। न ही उनके मुद्दों पर कोई बड़ा वादा सामने आया। महागठबंधन की राजनीति अब भी जातीय समीकरणों तक सीमित नजर आती है। यही वजह है कि राजनीतिक पंडित मानते हैं- विपक्ष अगर इसी तरह महिलाओं की अनदेखी करता रहा, तो 2025 का चुनाव भी NDA के पक्ष में झुक सकता है।

आधी आबादी से तय होगी सत्ता की कुर्सी

बिहार की राजनीति में महिलाओं का मतदान पैटर्न पिछले 15 वर्षों में सबसे बड़ा बदलाव लेकर आया है। आंकड़े और रुझान साफ कहते हैं कि महिला वोटर्स अब सिर्फ ‘सहायक’ नहीं, बल्कि ‘निर्णायक’ बन चुकी हैं।

नीतीश कुमार ने इसे अपनी सबसे बड़ी राजनीतिक ढाल बना लिया है, जबकि विपक्ष अभी भी सुस्त है।
ऐसे में सवाल उठना लाजमी है– क्या 2025 में भी नीतीश कुमार महिला वोटरों के सहारे सत्ता की कुर्सी तक पहुंच जाएंगे? या विपक्ष आखिरी वक्त में कोई बड़ा दांव खेलेगा?

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