
Bihar Election 2025: बिहार की राजनीति में बांका जिले की गिनती हमेशा से बड़े और प्रभावशाली क्षेत्रों में की जाती रही है। यहां के नेताओं ने विधानसभा से लेकर लोकसभा और राज्यसभा तक अपनी मजबूत पकड़ बनाई है। यहां तक कि बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी भी इसी धरती के नेता ने संभाली। लेकिन एक बात आज भी बांका की राजनीति को अधूरी बनाती है—अब तक यहां से कोई भी नेता ऐसा नहीं हुआ जो तीन अलग-अलग सदनों का सदस्य बन सका हो।
चंद्रशेखर सिंह: विधायक से मुख्यमंत्री और सांसद तक का सफर
बांका के सबसे चर्चित नेताओं में से एक रहे चंद्रशेखर सिंह। वे जमुई से आकर कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़े और 1980 के दशक में बांका विधानसभा से विधायक बने। इसके बाद वे बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे। यही नहीं, वे बांका के सांसद भी बने। उनके निधन के बाद उनकी पत्नी मनोरमा सिंह भी सांसद बनीं और जिले की राजनीति में परिवार का दबदबा बरकरार रहा।
गिरिधारी यादव: लोकसभा और विधानसभा तक सीमित
वर्तमान में जदयू के सांसद गिरिधारी यादव का राजनीतिक सफर भी खास रहा। वे लोकसभा और विधानसभा दोनों सदनों में पहुंचे, लेकिन तीसरे सदन तक का सफर उनका भी अधूरा ही रहा।
मनोज यादव और भूदेव चौधरी: एमएलसी से लेकर विधायक-सांसद तक
जिले के अन्य नेताओं की बात करें तो मनोज यादव ने पहले निर्दलीय एमएलसी के रूप में राजनीति में कदम रखा। इसके बाद जदयू से दोबारा एमएलसी बने और बेलहर से विधायक भी बने।
इसी तरह धोरैया के राजद विधायक भूदेव चौधरी का सफर भी दिलचस्प रहा। वे 2009 में जमुई सुरक्षित सीट से जदयू सांसद बने और बाद में विधायक के रूप में राजनीति में सक्रिय हुए।
दिग्विजय सिंह और अन्य दिग्गज
- पूर्व केंद्रीय रेल राज्य मंत्री दिग्विजय सिंह सांसद भी बने और राज्यसभा में भी पहुंचे।
- पूर्व सांसद जयप्रकाश नारायण यादव ने लोकसभा और विधानसभा दोनों का सफर तय किया।
- वहीं, जर्नादन यादव ने विधायक से राज्यसभा सदस्य बनने तक की यात्रा की।
इन सभी उदाहरणों से साफ है कि बांका के नेताओं ने दो-दो सदनों तक तो अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज कराई, लेकिन कोई भी तीसरे सदन का रिकॉर्ड नहीं बना सका।
क्या अब टूटेगा यह रिकॉर्ड?
आगामी चुनावी समर से पहले ही जिले में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। पुराने चेहरे फिर से रणनीति बनाकर मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष संजीव सिंह का कहना है कि “बांका की धरती ने हमेशा बिहार और देश को मजबूत नेतृत्व दिया है। आने वाले दिनों में देखना दिलचस्प होगा कि क्या कोई नेता यहां से तीसरे सदन तक पहुंचकर इतिहास रच पाएगा।”
बांका की राजनीति में इतिहास और परंपरा दोनों ही गहरी जड़ें जमाए हुए हैं। लेकिन जनता अब एक नए सवाल का जवाब तलाश रही है- क्या अगला चुनाव ऐसा होगा जिसमें बांका का कोई नेता तीसरे सदन तक का सफर तय करके राजनीति का नया अध्याय लिखेगा?
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