
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राजनीति में हलचल और तेज हो गई है। जहां महागठबंधन की ओर से असदुद्दीन ओवैसी के साथ समीकरण बिगड़ते दिख रहे हैं, वहीं अब NDA खेमे में भी नई चिंता बढ़ गई है। वजह है—बहुजन समाज पार्टी (BSP) का चुनावी ऐलान।
बसपा नेता रामजी गौतम ने पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ऐलान किया कि BSP बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इसके साथ ही पार्टी ने साफ कर दिया है कि अब वह प्रदेश की राजनीति में मजबूती से अपनी मौजूदगी दर्ज कराने जा रही है।
BSP का जनाधार और मायावती का प्रभाव
गौरतलब है कि बिहार के यूपी से सटे इलाकों में BSP का अच्छा-खासा वोट बैंक है। पिछले विधानसभा चुनाव 2020 में भी कैमूर जिले की चैनपुर सीट से BSP ने जीत दर्ज की थी। हालांकि, विजेता विधायक जमा खान बाद में JDU में शामिल हो गए और मंत्री भी बने। इसके बावजूद BSP का कैडर वोट हर विधानसभा क्षेत्र में मौजूद माना जाता है।
अब मायावती और उनके भतीजे आकाश आनंद के नेतृत्व में BSP ने फिर से ताकत दिखाना शुरू कर दिया है। पार्टी लगातार जागरूकता रैली निकाल रही है, जिसका पहला चरण 20 सितंबर से वैशाली तक जाएगा।
NDA सहयोगियों की बढ़ी चिंता
BSP के इस बड़े ऐलान ने खासकर NDA के दो सहयोगियों—चिराग पासवान (LJP-R) और जीतनराम मांझी (HAM)—की नींद उड़ा दी है। दरअसल, दोनों ही नेता खुद को बिहार में दलित वोटों का बड़ा चेहरा मानते हैं। लेकिन अब BSP के मैदान में उतरने से दलित वोटों में बिखराव तय माना जा रहा है। इसका सीधा असर NDA के समीकरणों पर पड़ सकता है।
BSP का मुद्दा: जंगलराज और प्रवासी मजदूर
रामजी गौतम ने नीतीश और लालू सरकार पर करारा हमला बोलते हुए कहा- बिहार में जंगलराज अभी खत्म नहीं हुआ है, अपराध लगातार बढ़ रहे हैं। पटना जैसे बड़े शहरों में लूटपाट आम हो गई है। बिहार के 4 करोड़ प्रवासी मजदूर दो वक्त की रोटी के लिए बाहर पलायन कर चुके हैं, लेकिन सरकारें सिर्फ वादे करती रहीं।
उन्होंने उत्तर प्रदेश का उदाहरण देते हुए कहा कि मायावती मॉडल से यूपी में जंगलराज खत्म हुआ और रोजगार के अवसर पैदा हुए। वैसा ही मॉडल अब बिहार में लागू करने का वादा भी किया गया।
राहुल गांधी पर तंज
रामजी गौतम ने साफ किया कि BSP की यात्रा राहुल गांधी की पदयात्रा की कॉपी नहीं है। उन्होंने कहा- राहुल गांधी की यात्रा अलग मुद्दों पर थी, जबकि हमारी यात्रा जनता को जागरूक करने और गुंडाराज खत्म करने के लिए है।
स्पष्ट है कि BSP के मैदान में उतरने से बिहार का चुनावी परिदृश्य और जटिल होने वाला है। NDA को जहां चिराग–मांझी के दलित वोट बैंक में सेंध लगने का खतरा है, वहीं महागठबंधन को भी नए समीकरणों का सामना करना होगा। कुल मिलाकर, मायावती की पार्टी ने बिहार चुनावी मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है।
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