
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राज्य की सियासत में घमासान तेज हो गया है। वोटर लिस्ट रिवीजन (SIR), सीट बंटवारा, प्रशांत किशोर की रणनीति और भोजपुरी स्टार पवन सिंह की राजनीति में एंट्री जैसे मुद्दों पर लोजपा(रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान ने बड़ा हमला बोला है। उनके बयानों ने न सिर्फ विपक्ष की मुश्किलें बढ़ाई हैं, बल्कि NDA खेमे के भीतर भी हलचल मचा दी है।
वोटर लिस्ट रिवीजन पर विपक्ष निशाने पर
चिराग पासवान ने विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर विपक्ष को घेरा। उन्होंने कहा कि विपक्ष अब मुद्दाविहीन हो चुका है और आने वाले कई दशकों तक सिर्फ मतदाता सूची में खामियां ही ढूंढता रहेगा। चिराग के मुताबिक, “कुछ साल पहले तक विपक्ष चुनाव हारने का ठीकरा EVM पर फोड़ता था, अब वे SIR पर राजनीति कर रहे हैं। सच्चाई यह है कि बिहार समेत कई राज्यों में मतदाता सूची में सुधार जरूरी था, जो अब हो चुका है।” गौरतलब है कि जून में शुरू हुए SIR के तहत बिहार में अब तक 47 लाख से ज्यादा नाम काटे गए हैं।
पवन सिंह पर दिया बड़ा बयान
भोजपुरी स्टार पवन सिंह की राजनीति में वापसी की अटकलों पर चिराग ने कहा कि वह लंबे समय से NDA परिवार का हिस्सा रहे हैं। “पिछले लोकसभा चुनाव 2024 में कुछ गलतफहमियां हुई थीं, जिसके कारण उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा। लेकिन अगर पवन सिंह NDA में वापसी करते हैं तो यह गठबंधन के लिए मजबूती का काम करेगा।”
प्रशांत किशोर पर तंज
जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर की ओर से उन्हें ‘योग्य नेता’ बताए जाने पर चिराग ने पलटवार किया। उन्होंने कहा, “मेरे प्रधानमंत्री और मेरी पार्टी तय करेंगे कि मुझे किस गठबंधन का हिस्सा होना है। जब बिहार को नरेंद्र मोदी से विशेष ध्यान मिल रहा है, तो हम NDA के मजबूत हिस्से बने रहेंगे।”
सीट बंटवारे पर पहली बार खोला पत्ता
चिराग पासवान ने NDA में सीट बंटवारे को लेकर भी स्पष्ट संकेत दिए। उन्होंने कहा कि “फॉर्मूला तय होने के बाद मेरी पार्टी निर्णय लेगी कि विधानसभा चुनाव में मैं या कोई अन्य सांसद मैदान में उतरेगा। हमें पूरा विश्वास है कि हमें NDA में सम्मानजनक हिस्सेदारी मिलेगी।”
विपक्ष के लिए बड़ी चुनौती
चिराग पासवान के इस बयान ने साफ कर दिया है कि बिहार चुनाव में विपक्ष को न सिर्फ NDA बल्कि चिराग की आक्रामक राजनीति से भी जूझना पड़ेगा। मतदाता सूची से लेकर सीट बंटवारे तक, उनके बयानों ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह NDA में सिर्फ सहयोगी नहीं, बल्कि गेम-चेंजर की भूमिका निभा सकते हैं।
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