
Bharat Milap 2025: काशी की सांस्कृतिक विरासत का अनोखा पर्व भरत मिलाप इस बार बारिश के बीच भी भव्य रूप से आयोजित हुआ। नाटी इमली मैदान में जब भगवान श्रीराम और लक्ष्मण ने रथ से उतरकर भरत और शत्रुघ्न को गले लगाया तो पूरा मैदान “जय श्रीराम” के जयकारों से गूंज उठा। भीगते हुए भी करीब 20 हजार से अधिक श्रद्धालु छाता लेकर इस दिव्य दृश्य के साक्षी बने।
भरत और शत्रुघ्न, भाइयों के स्वागत में जमीन पर लेट गए। राम और लक्ष्मण रथ से उतरकर दौड़े और दोनों भाइयों को उठाकर गले लगाया। महाराजा आनंत विभूति नारायण ने श्रीराम की भूमिका निभा रहे कलाकार को चांदी की गिन्नी भेंट कर आशीर्वाद लिया।
पुष्पक विमान की तरह सजाए गए 5 टन के रथ को यादव बंधुओं ने कंधे पर उठाकर लाया लीला मैदन पर लाए। सुरक्षा के लिए पूरे क्षेत्र में गाड़ियों का प्रवेश रोक दिया गया और ड्रोन से निगरानी की गई। बारिश के बावजूद श्रद्धालुओं का उत्साह कम नहीं हुआ। कृष्ण कांत शास्त्री ने बताया कि इस बार की लीला बारिश के बीच और भी अद्भुत लगी, प्रभु राम के दर्शन के लिए हर कोई उत्साहित था।
500 साल पुरानी परंपरा से जुड़ी आस्था
करीब 481 साल पहले तुलसीदास जी के समकालीन मेघा भगत ने इस परंपरा की शुरुआत की थी। तुलसीदास के निधन के बाद उन्होंने स्वप्न में दर्शन दिए और भरत मिलाप की परंपरा शुरू करने की प्रेरणा दी। मान्यता है कि इसी स्थल पर मेघा भगत को भगवान राम ने दर्शन दिए थे। तभी से यह लीला हर साल नाटी इमली में होती है। आज भरत मिलाप केवल काशी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि विश्वभर से लोग इसे देखने आते हैं। भक्तों की भीड़ और उमंग इस परंपरा की भव्यता का प्रमाण है।
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