Bihar Chunav 2025: बदला-बदला सा दिख रहा है सियासी गणित, कौन किसके साथ और कौन किसके खिलाफ?

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Bihar Chunav 2025

Bihar Chunav 2025: बिहार की राजनीति एक बार फिर गर्माने लगी है। भारत निर्वाचन आयोग सोमवार शाम 4 बजे बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों का ऐलान करने जा रहा है। इसके साथ ही राज्य की सियासत में एक नई हलचल शुरू हो जाएगी। दिलचस्प बात यह है कि इस बार का चुनाव पुराने चेहरों के नए गठबंधन और नई पार्टियों की एंट्री के साथ पहले से कहीं ज्यादा पेचीदा और दिलचस्प होने वाला है। पिछले पांच सालों में बिहार का राजनीतिक समीकरण इस तरह बदला है कि कई पुराने साथी अब विरोधी बन चुके हैं, जबकि कई पुराने विरोधी अब एक मंच पर खड़े हैं।

NDA का नया चेहरा: चिराग और उपेंद्र लौटे, सहनी बाहर

पिछली बार 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए का चेहरा कुछ और था। उस वक्त भाजपा, जेडीयू और हम (हितैशी विकास मोर्चा) साथ थे, लेकिन लोजपा (रामविलास) ने गठबंधन से किनारा कर लिया था। चिराग पासवान की पार्टी ने तब 138 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे, पर केवल एक सीट जीत सकी, वो भी बाद में जेडीयू में चली गई।

अब हालात बदल गए हैं। चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास) और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी फिर से एनडीए में लौट आई हैं। वहीं, विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के अध्यक्ष मुकेश सहनी अब महागठबंधन का हिस्सा बन चुके हैं। 2020 में एनडीए के साथ रहकर 4 सीटें जीतने वाली वीआईपी अब राजद के साथ है और सहनी खुद डिप्टी सीएम बनने की कोशिशों में जुटे हैं।

महागठबंधन में नई रंगत

महागठबंधन (RJD-कांग्रेस-कम्युनिस्ट दलों का समूह) में भी इस बार बड़े बदलाव हुए हैं। 2020 में जो मुकेश सहनी एनडीए के साथ थे, अब वही आरजेडी के पाले में हैं। इसके साथ ही लोक जनतांत्रिक पार्टी (रालोजपा) के प्रमुख पशुपति कुमार पारस भी अब महागठबंधन में आ गए हैं।

दरअसल, चिराग पासवान और पशुपति पारस के बीच हुए विभाजन के बाद एनडीए ने पारस को दरकिनार कर दिया था। लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने उन्हें राज्यपाल बनने का प्रस्ताव दिया, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया। चुनाव के बाद उन्होंने भी एनडीए से किनारा कर लिया और अब महागठबंधन में जगह बना ली है।

जन अधिकार पार्टी का कांग्रेस में विलय

बिहार की राजनीति में सक्रिय पप्पू यादव ने लोकसभा चुनाव 2024 से पहले अपनी जन अधिकार पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया था। वे पूर्णिया से कांग्रेस टिकट की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन सीट राजद की बीमा भारती को दे दी गई।
पप्पू यादव ने निर्दलीय मैदान में उतरने का ऐलान किया और भारी मतों से जीत हासिल कर सबको चौंका दिया। अब वे कांग्रेस के नेता के तौर पर महागठबंधन में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

गठबंधन की नई बिसात: कौन किसके साथ?

  • एनडीए: भाजपा + जेडीयू + हम + लोजपा (रामविलास) + उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी
  • महागठबंधन: राजद + कांग्रेस + वीआईपी (मुकेश सहनी) + रालोजपा (पशुपति पारस) + पप्पू यादव

राजनीतिक विश्लेषण: 2025 की लड़ाई पहले से ज्यादा पेचीदा

बिहार में इस बार मुकाबला बेहद रोचक होने वाला है। एक ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जोड़ी “डबल इंजन” के विकास के मुद्दे पर मैदान में उतरने वाली है, तो दूसरी ओर तेजस्वी यादव, पप्पू यादव और मुकेश सहनी “बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार” के मुद्दों पर सरकार को घेरने की रणनीति बना रहे हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, 2025 का चुनाव जातीय समीकरणों से ज्यादा “विकास बनाम भरोसा” की लड़ाई होगी। लेकिन यह तय है कि गठबंधनों की इस उलझन में जनता के सामने सबसे बड़ा सवाल यही रहेगा – “कौन सा गठबंधन बिहार को नई दिशा देगा?”

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