Bihar Election 2025: चिराग और मांझी की जंग में NDA की एकता हुई भंग, कौन झुकेगा-कौन टेकेगा?

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Bihar Election 2025

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का रण अभी शुरू भी नहीं हुआ, लेकिन एनडीए (NDA) के अंदर सीट बंटवारे की सियासत ने गर्मी बढ़ा दी है। एक तरफ लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान हैं, जो 36 से 40 सीटों की मांग पर अड़े हैं, वहीं दूसरी तरफ हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के संस्थापक जीतनराम मांझी हैं, जो 15 सीटों के लिए दबाव बना रहे हैं।

अब सवाल यही है – क्या एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर शुरू हुआ यह घमासान गठबंधन की एकता को हिला देगा?
या फिर चिराग और मांझी की यह राजनीतिक बाज़ी NDA को और मजबूत बनाएगी? पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने साफ कहा है कि अब वे अपमान का घूंट नहीं पीएंगे। उनका कहना है कि उनकी पार्टी ‘हम’ (Hindustani Awam Morcha) को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलाना उनका सपना है।

मांझी ने कहा हमारे पास चार विधायक, एक पार्षद और एक सांसद हैं, फिर भी हमें चुनाव आयोग की बैठकों में नहीं बुलाया जाता। यह हमारे लिए अपमानजनक है। अब हम सिर्फ अपना हक मांग रहे हैं। उन्होंने चिराग पासवान पर तंज कसते हुए कहा – जिनके पास एक विधायक भी नहीं है, वो 40 सीटें मांग रहे हैं, और हम सिर्फ 15 सीटों की मांग कर रहे हैं। आखिर हम कब तक अपमान सहेंगे?

मांझी के दावे में दम क्यों?

अगर बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के नतीजों को देखें तो मांझी का दावा कुछ हद तक वाजिब भी लगता है। पिछले चुनाव में HAM को 7 सीटें मिली थीं, जिनमें से 4 सीटों पर जीत हासिल हुई थी, यानी 57% का स्ट्राइक रेट। मांझी का कहना है अगर इस बार हमारी पार्टी के 7–8 विधायक जीत जाते हैं, तो हमें ‘राज्य पार्टी’ का दर्जा मिल जाएगा।

चिराग पासवान की दबाव भरी राजनीति

वहीं चिराग पासवान शुरू से ही प्रेशर पॉलिटिक्स का खेल खेल रहे हैं। चिराग ने हाल ही में कहा था कि उनकी पार्टी चाहें तो 243 सीटों पर अकेले भी चुनाव लड़ सकती है। यह बयान साफ दिखाता है कि चिराग एनडीए में अपनी मोलभाव करने की ताकत बढ़ाना चाहते हैं। हालांकि बीजेपी और जेडीयू के भीतर सूत्रों का कहना है कि चिराग को 20 से 22 सीटों का प्रस्ताव दिया गया है, लेकिन वह 36 से 40 सीटों की डिमांड कर रहे हैं।”

दिलचस्प बात यह है कि 2020 में एलजेपी (रामविलास) ने 135 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से सिर्फ एक सीट पर जीत मिली थी और 110 सीटों पर जमानत जब्त हो गई थी।

NDA में तनाव लेकिन रणनीति तय

बीजेपी और जेडीयू के आलाकमान ने अब सीट बंटवारे की रणनीति लगभग तय कर ली है। जानकारी के मुताबिक, बीजेपी और जेडीयू मिलकर बड़ी सीटों पर कब्जा बनाए रखेंगे। HAM और LJP (रामविलास) को सीमित सीटें देकर संतुलन साधने की कोशिश होगी। लेकिन अंदरखाने यह भी चर्चा है कि अगर मांझी और चिराग दोनों ने अपने रुख में नरमी नहीं दिखाई, तो एनडीए के भीतर “अंदरूनी विस्फोट” की स्थिति बन सकती है।

कौन जीतेगा ‘प्रेशर पॉलिटिक्स’ की जंग?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जीतनराम मांझी की डिमांड ठोस आधार पर है, जबकि चिराग पासवान की रणनीति पूरी तरह जनता का ध्यान और मीडिया स्पेस हासिल करने पर केंद्रित है। फिलहाल एनडीए में यह मुकाबला सिर्फ सीटों का नहीं, बल्कि “राजनीतिक अस्तित्व बनाम प्रभाव” की जंग बन चुका है।

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