Chandauli News: 62 करोड़ की मत्स्य मंडी शुरू होने से पहले विवादों में! मत्स्य पालकों में क्यों नाराजगी

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Chandauli News: चंदौली में 62 करोड़ रुपये की लागत से बनी अल्ट्रा मॉडल मत्स्य मंडी अभी शुरु भी नहीं हुआ कि विवादों के घेरे में आ गई। चंदौली के मत्स्य पालक किसानों ने दुकानों के आवंटन में पारदर्शिता न होने और बाहरी लोगों को प्राथमिकता दिए जाने का आरोप लगाया है। इससे स्थानीय किसानों में असंतोष और नाराजगी है।

किसानों ने लगाई पारदर्शिता की गुहार

चकिया क्षेत्र के मत्स्य पालकों ने आरोप लगाया कि मंडी में दुकानें देने के लिए कोई स्पष्ट और पारदर्शी नीति नहीं बनाई गई है। स्थानीय किसानों की मांग है कि दुकानों के 80% आवंटन का अधिकार चंदौली जिले के मत्स्य पालकों को दिया जाए, ताकि उन्हें रोजगार और कारोबार दोनों में बढ़ावा मिल सके।

प्रगतिशील किसान रतन सिंह ने कहा, मंडी में एक दुकान की कीमत 15 से 18 लाख रुपये तय की गई है। छोटे मत्स्य पालकों के लिए इतनी बड़ी रकम जुटा पाना असंभव है। सरकार को इस रेट पर दोबारा विचार करना चाहिए।

बर्थरा गांव के मत्स्य पालक मदनजीत सिंह ने कहा कि इस मंडी में मछलियों की प्रोसेसिंग यूनिट या कोल्ड स्टोरेज जैसी बुनियादी सुविधाएं ही नहीं हैं। दुकानों के ऊंचे दाम और अधूरी सुविधाओं के कारण छोटे किसानों को इसका लाभ नहीं मिलेगा।

एफपीओ को जोड़ने की मांग

इशानी एग्रो एफपीओ के संचालक अजय सिंह ने बताया कि उनके संगठन में एक हजार से अधिक मत्स्य पालक किसान जुड़े हैं। उनका कहना है कि- अगर एफपीओ को मंडी संचालन में भागीदारी दी जाए, तो किसान सीधे तौर पर लाभान्वित होंगे और बिचौलियों की भूमिका खत्म हो जाएगी।

विधायक ने दिया भरोसा

चकिया विधायक कैलाश खरवार ने कहा कि मंडी स्थानीय लोगों के हित में बनी है। किसानों की शिकायतें शासन स्तर पर रखी जाएंगी और कोशिश होगी कि दुकानों का 80% आवंटन स्थानीय मत्स्य पालकों को मिले।

भाजपा नेता बोले- राजनीतिक अफवाहें फैलाई जा रही हैं

वहीं भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष राणा प्रताप सिंह ने कहा कि मंडी के आवंटन में किसी तरह की गड़बड़ी नहीं हुई है। दुकानों का आवंटन पूरी तरह पारदर्शी प्रक्रिया से होगा। कुछ लोग राजनीतिक द्वेष के कारण अफवाहें फैला रहे हैं।

विवादों और बयानबाजी के बीच स्थानीय मत्स्य पालक अब भी असमंजस में हैं। किसानों का कहना है कि जब तक शासन स्तर पर स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं जारी होते, तब तक इस मंडी के शुरू होने से उन्हें कोई वास्तविक फायदा नहीं मिलेगा।

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