
BJP Leader Ajay Jha Protest: बिहार की सियासत इस वक्त पूरे उफान पर है, कहीं बगावत की आग धधक रही है, तो कहीं भाइयों की जंग सियासी महाभारत का रूप ले रही है। अररिया जिले में ऐसा नज़ारा देखने को मिला जिसने हर किसी को चौंका दिया। भाजपा से टिकट न मिलने पर सीनियर नेता पंडित अजय झा ने कफन ओढ़कर विरोध प्रदर्शन किया, तो उनकी पत्नी निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर मैदान में उतर आईं।
कफन ओढ़कर विरोध
नरपतगंज विधानसभा सीट से टिकट की आस लगाए बैठे भाजपा के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अजय झा का नाम जब उम्मीदवारों की लिस्ट से गायब मिला, तो उनका गुस्सा और ग़म फूट पड़ा। भाजपा ने इस सीट से देवंती यादव को टिकट दिया और बस, यहीं से शुरू हुआ सियासी ड्रामा। पहले तो अजय झा (BJP Leader Ajay Jha Protest) ने आत्मदाह की धमकी दे डाली, लेकिन बाद में उन्होंने कफन ओढ़कर शांतिपूर्ण प्रदर्शन का अनोखा तरीका चुना।
सफेद कफन में लिपटे अजय झा बोले – ‘मैं पार्टी का वफादार रहा, लेकिन आज लगता है कि भाजपा के लिए मैं मर चुका हूं! इस दौरान उनके समर्थकों की भारी भीड़ जुटी रही, और माहौल पूरी तरह भावनात्मक हो गया।’ इधर उनकी पत्नी संजू झा ने भी मीडिया के सामने घोषणा कर दी — अगर पार्टी ने मेरे पति के साथ अन्याय किया है, तो अब मैं निर्दलीय चुनाव लड़ूंगी!
सूत्रों के मुताबिक, भाजपा के प्रदेश नेतृत्व ने हालात को संभालने के लिए मीटिंग भी बुलाई है ताकि बगावत का यह मामला और न भड़के।
जोकीहाट में भाइयों की सियासी जंग
वहीं अररिया की ही जोकीहाट सीट पर सियासी मुकाबला अब पारिवारिक रंग ले चुका है। यहाँ मैदान में उतरने जा रहे हैं दो सगे भाई – शाहनवाज़ आलम बनाम सरफराज आलम! दोनों सीमांचल के दिवंगत नेता मोहम्मद तस्लीमुद्दीन के बेटे हैं। कभी एक ही पार्टी में थे, अब एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं।
राजद के टिकट से शाहनवाज़ आलम को उतारने की तैयारी है, वहीं उनके बड़े भाई सरफराज आलम ने हाल ही में राजद से इस्तीफा देकर जन सुराज पार्टी का दामन थाम लिया है। संभावना है कि जन सुराज उन्हें इसी सीट से मैदान में उतारे।
पिछले चुनाव में भी हुई थी भाई-भाई की भिड़ंत!
दिलचस्प बात यह है कि 2020 के चुनाव में भी दोनों भाई आमने-सामने थे। तब शाहनवाज़ AIMIM से और सरफराज RJD से लड़े थे — और नतीजा- छोटे भाई शाहनवाज़ ने बड़े भाई को मात दी थी! बाद में शाहनवाज़ राजद में शामिल होकर मंत्री पद तक पहुंचे, मगर लोकसभा चुनाव 2024 में अररिया सीट से हार गए। अब वे फिर से विधानसभा में वापसी की कोशिश में जुटे हैं।
वहीं एनडीए ने इस सीट पर जेडीयू के मंजर आलम को प्रत्याशी बनाया है — राजनीतिक जानकारों का कहना है कि दो भाइयों की टक्कर का सीधा फायदा मंजर आलम को मिल सकता है।
अररिया की सियासत फिलहाल पूरी तरह ड्रामे और दिलचस्प मोड़ों से भरी हुई है। एक तरफ भाजपा का बागी नेता कफन ओढ़कर मैदान में, तो दूसरी तरफ दो भाई सीमांचल के सिंहासन के लिए आमने-सामने! अब देखना यह होगा कि जनता किसका साथ देती है — ‘कफन वाला विरोध, परिवार की बगावत या भाइयों की भिड़ंत’ – बिहार की सियासत में इस बार का रण वाकई दिलचस्प होने वाला है।
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