
Bihar Chunav 2025: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर (OP Rajbhar) ने बिहार की सियासत में हलचल मचा दी है। राजभर ने शुक्रवार को बिहार विधानसभा चुनाव के लिए 47 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है और दावा किया कि उनकी पार्टी कुल 153 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी।
राजभर ने साफ कहा कि अगर भाजपा (BJP) बिहार में NDA गठबंधन के तहत सुभासपा को 3-4 सीटें भी दे देती है, तो वह बाकी सीटों से अपने उम्मीदवार वापस ले लेंगे। लेकिन फिलहाल उन्होंने बिहार विधानसभा चुनाव में अकेले मैदान में उतरने का ऐलान किया है।
राजभर ने मीडिया से बात करते हुए कहा, बिहार BJP को डर है कि अगर हम वहां की सीटें जीत गए, तो NDA सरकार में हमें जगह देनी पड़ेगी और विभाग भी बांटने होंगे। इसलिए हमें गठबंधन में जगह नहीं दी गई।
उन्होंने कहा कि सुभासपा बीते कई सालों से बिहार में संगठन मजबूत कर रही है और पार्टी का प्रभाव राजभर, रजवार, राजवंशी और राजघोष जैसे पिछड़े वर्गों में तेजी से बढ़ा है। इन समुदायों की बिहार में आबादी लगभग 4.2% है, जो कई सीटों पर निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
वादे पूरे नहीं किए, इसलिए अब अकेले लड़ेंगे
ओपी राजभर ने खुलासा किया कि बिहार उपचुनावों के दौरान BJP ने उनसे अपने उम्मीदवार वापस लेने को कहा था, बदले में कुछ पद देने का वादा किया गया था, लेकिन बाद में कोई वादा पूरा नहीं हुआ। राजभर ने कहा- हमने उपचुनाव में तरारी और रामगढ़ सीटों से अपने प्रत्याशी वापस ले लिए थे। BJP ने वादा किया था कि बिहार में कुछ आयोगों में हमें जगह दी जाएगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
सुभासपा के महासचिव और ओपी राजभर के बेटे अरुण राजभर ने कहा कि पार्टी 2004 से ही बिहार में चुनाव लड़ती रही है। उन्होंने कहा- हमने पिछले कुछ सालों में बिहार के कई जिलों में जनसभाएं की हैं। BJP के साथ गठबंधन के बाद हमने रुकावट डाली थी, लेकिन अब हम पूरी ताकत से मैदान में उतरेंगे।
NDA पर असर नहीं, लेकिन BJP को नुकसान तय
हालांकि ओपी राजभर ने यह भी स्पष्ट किया कि बिहार में अलग चुनाव लड़ने का फैसला यूपी में BJP के साथ उनके गठबंधन को प्रभावित नहीं करेगा। राजभर ने कहा – उत्तर प्रदेश में हमारा गठबंधन NDA के साथ है और रहेगा। लेकिन बिहार में हम स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ रहे हैं।
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में सुभासपा ने BSP और AIMIM के साथ गठबंधन किया था, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत सकी थी। इस बार पार्टी को उम्मीद है कि OBC मतदाता और जमीनी स्तर पर संगठन की मेहनत उन्हें बेहतर नतीजे दिलाएगी।
ओपी राजभर का यह कदम बिहार की राजनीति में OBC वोट बैंक के समीकरण को नया मोड़ दे सकता है। भाजपा जहां पहले से ही सहयोगियों की नाराजगी झेल रही है, वहीं सुभासपा का यह ‘अकेले चुनाव’ लड़ने का ऐलान NDA के लिए सिरदर्द साबित हो सकता है। राजभर का अंदाज़ और बयानबाज़ी बताती है कि वह न सिर्फ यूपी बल्कि अब बिहार की राजनीति में भी किंगमेकर बनने का सपना देख रहे हैं।
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