
Dhanteras 2025: आज धनतेरस का पावन पर्व है, दीपावली की शुरुआत का पहला दिन, जब घरों में लक्ष्मी और कुबेर की कृपा के लिए दीप जलाए जाते हैं और सोना-चांदी, बर्तन या नई चीज़ें खरीदने की परंपरा निभाई जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस मनाई जाती है। इस दिन को “धनत्रयोदशी” भी कहा जाता है।
Dhanteras 2025 पूजा और खरीदारी के शुभ मुहूर्त
पूजा का शुभ मुहूर्त
- शाम 6:30 बजे से 8:30 बजे तक (2 घंटे का सर्वश्रेष्ठ समय)
- इस दौरान धनवंतरि, भगवान कुबेर और माता लक्ष्मी की पूजा करना अत्यंत शुभ माना गया है।
सोना-चांदी या बर्तन खरीदने का मुहूर्त
- सुबह 7:45 बजे से दोपहर 1:05 बजे तक
- और शाम 4:15 बजे से रात 9:00 बजे तक
- इन दोनों अवधि में की गई खरीदारी को “सिद्धि योग” का फलदायक समय माना गया है।
Dhanteras 2025 अभिजीत मुहूर्त (सर्वश्रेष्ठ काल)
- दोपहर 11:45 बजे से 12:30 बजे तक
- इस समय में यदि आप सोना, चांदी या धन संबंधी वस्तुएं खरीदते हैं, तो धनलाभ की संभावना बढ़ती है।
धनतेरस का महत्व
धनतेरस केवल खरीदारी का दिन नहीं, बल्कि समृद्धि, स्वास्थ्य और शुभ आरंभ का प्रतीक है। पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन समुद्र मंथन के दौरान धनवंतरि देव अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसी कारण इसे आयुर्वेद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। लोग इस दिन धनवंतरि देव की पूजा कर अच्छे स्वास्थ्य और लंबी आयु की कामना करते हैं।
वहीं, एक अन्य कथा के अनुसार, राजा हेम के पुत्र की मृत्यु सर्पदंश से तय थी। लेकिन उसकी पत्नी ने दीपक जलाकर और सोने-चांदी के गहनों से दरवाजा सजाकर यमराज की आंखों को चकाचौंध कर दी। तब से माना जाता है कि इस दिन दीप जलाने से असमय मृत्यु का भय टल जाता है।
कैसे करें धनतेरस की पूजा
- संध्या समय घर को साफ करें और प्रवेश द्वार पर आटे या मिट्टी का दीपक जलाएं।
- भगवान धनवंतरि, कुबेर और माता लक्ष्मी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- गंगा जल से शुद्धिकरण करें और रोली, चावल, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
- सिक्के या धातु की वस्तुएं पूजा में रखें और लक्ष्मी-कुबेर का आह्वान करें।
- अंत में कुबेर मंत्र और महालक्ष्मी मंत्र का जाप करें —
“ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नमः।”
- पूजा के बाद दीप जलाकर घर के हर कोने में रखें, जिससे नकारात्मक ऊर्जा दूर हो।
क्या खरीदना शुभ माना जाता है?
- सोना या चांदी (आभूषण, सिक्का या बर्तन)
- चांदी का सिक्का जिस पर लक्ष्मी-गणेश का चित्र हो
- स्टील, तांबा या पीतल के बर्तन
- झाड़ू (माता लक्ष्मी का प्रतीक)
- धनवंतरि या कुबेर की प्रतिमा
- इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं या नया वाहन
धार्मिक मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई वस्तु “वृद्धि” का प्रतीक होती है, यानी जो खरीदा जाता है, उसमें पूरे वर्ष वृद्धि होती है।
शुभ संकेत और परंपराएं
शाम को घर के मुख्य द्वार पर दीप जलाना अनिवार्य माना जाता है। धनवंतरि देव के लिए तुलसी और हल्दी का दीप जलाएं। माना जाता है कि इस दिन नया झाड़ू खरीदने से घर में लक्ष्मी का स्थायी वास होता है।
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