बख्तियारपुर विधानसभा: नीतीश कुमार की कर्मभूमि, 1951-72 तक कभी इस बड़ी पार्टी का रहा दबदबा?

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Bakhtiarpur Assembly Seat

Bakhtiarpur Assembly Seat: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में जिन सीटों पर पूरे राज्य की निगाहें टिकी होंगी, उनमें बख्तियारपुर विधानसभा सीट सबसे आगे है। यह सीट न सिर्फ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की परंपरागत सीट रही है, बल्कि बिहार की राजनीति की दिशा तय करने वाली अहम सीट भी मानी जाती है।

बख्तियारपुर विधानसभा सीट का इतिहास
Bakhtiarpur Assembly Seat Political History

  • 1951 में जब बिहार विधानसभा का पहला चुनाव हुआ, तब बख्तियारपुर सीट का गठन हुआ।
  • 1951 से 1972 तक कांग्रेस का दबदबा रहा। यहां के पहले विधायक कांग्रेस से रामलखन सिंह यादव बने।
  • 1977 में जनता पार्टी की लहर में कांग्रेस का किला ढहा और यहां पहली बार विपक्ष ने कब्जा जमाया।
  • 1980 और 1985 में कांग्रेस ने वापसी की, लेकिन 1990 के बाद से नीतीश कुमार और उनके राजनीतिक दलों (समता पार्टी, फिर जदयू) ने इस सीट पर पकड़ बना ली।

नीतीश कुमार की कर्मभूमि

  • नीतीश कुमार ने 1977 में लोकदल से चुनाव लड़ा लेकिन हार गए।
  • 1985 और 1990 के विधानसभा चुनावों में भी किस्मत आजमाई।
  • 1985 में कांग्रेस उम्मीदवार विजय कुमार यादव से हार का सामना करना पड़ा।
  • इसके बाद नीतीश ने लोकसभा की राजनीति में कदम रखा और बख्तियारपुर से अधिकतर समय उनके करीबी नेता या जदयू प्रत्याशी ही जीतते रहे।
  • यही कारण है कि इस सीट को नीतीश कुमार की राजनीतिक कर्मभूमि कहा जाता है।

किस पार्टी का दबदबा रहा?

  • कांग्रेस → 1950–80 के दशक तक लगातार मजबूत।
  • जनता दल/समता पार्टी/जदयू → 1990 के बाद से वर्चस्व कायम।
  • राजद (RJD) → यहां कभी बड़ी जीत दर्ज नहीं कर पाया, लेकिन 2015 और 2020 में वोट शेयर में इजाफा हुआ।
  • जातीय समीकरण और वोट बैंक
  • बख्तियारपुर का चुनाव हमेशा जातीय समीकरण से प्रभावित रहा है।
  • कुर्मी (नीतीश का कोर वोट बैंक) और यादव (RJD का कोर वोट बैंक) यहां निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
  • मुस्लिम मतदाता भी राजद के साथ बड़ी संख्या में रहते हैं।
  • ब्राह्मण और भूमिहार मतदाता परंपरागत रूप से कांग्रेस और बाद में बीजेपी/एनडीए के साथ रहे।
  • 2020 में यहां लगभग 2.75 लाख मतदाता थे, जिनमें करीब 35 हजार कुर्मी, 40 हजार यादव और 30 हजार मुस्लिम वोटर्स निर्णायक स्थिति में रहे।

2020 का विधानसभा चुनाव

  • 2020 में जदयू प्रत्याशी ने यहां से जीत दर्ज की।
  • राजद ने पूरी ताकत झोंकी थी, लेकिन नीतीश कुमार के प्रभाव और एनडीए के गठजोड़ ने जदयू को जीत दिलाई।
  • इस बार (2025) हालात बदल सकते हैं क्योंकि लोकसभा चुनाव 2024 में महागठबंधन को इस क्षेत्र में अप्रत्याशित बढ़त मिली थी।

2025 का समीकरण

  • NDA (JDU+BJP+HAM+VIP) → नीतीश कुमार की प्रतिष्ठा दांव पर होगी। संगठन ने बख्तियारपुर को मॉडल सीट बनाने की योजना बनाई है।
  • RJD+Congress+Left → यहां यादव-मुस्लिम समीकरण और बेरोजगारी, महंगाई के मुद्दों पर वोटरों को साधने की कोशिश।
  • महागठबंधन इस बार नया चेहरा उतारने की योजना बना रहा है, ताकि युवा वोटरों को आकर्षित किया जा सके।
  • राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह सीट इस बार बिहार की टॉप 5 हाईप्रोफाइल सीटों में से होगी।

बख्तियारपुर विधानसभा सीट का चुनाव महज एक विधानसभा क्षेत्र की लड़ाई नहीं है, बल्कि यह नीतीश कुमार की राजनीतिक विरासत और तेजस्वी यादव की चुनौती के बीच सीधी जंग होगी। 2025 में यहां जो भी जीतेगा, उसका असर सीधे-सीधे पटना की सत्ता पर दिखाई देगा।

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