
Patna Sahib Assembly Seat: पटना साहिब विधानसभा सीट बिहार की उन चुनिंदा सीटों में से एक है, जो हर चुनाव में प्रदेश ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का केंद्र बन जाती है। राजधानी पटना की इस प्रतिष्ठित सीट का राजनीतिक इतिहास बेहद रोचक और उतार-चढ़ाव भरा रहा है।
राजनीतिक इतिहास और पृष्ठभूमि
पटना साहिब सीट का गठन 1951 में हुआ था और तब से अब तक यहां कई बड़े राजनीतिक चेहरे चुनाव लड़ चुके हैं। यह सीट बीजेपी, कांग्रेस और जेडीयू जैसी पार्टियों के बीच लगातार स्विंग करती रही है।
2005 और 2010 में यहां भाजपा का दबदबा रहा।
2015 के चुनाव में जब महागठबंधन (जेडीयू-राजद-कांग्रेस) बना, तब भी यह सीट सुर्खियों में रही।
2020 में यहां कड़ा मुकाबला हुआ, लेकिन बीजेपी ने अपनी पकड़ बनाए रखी।
पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र से जुड़े होने के कारण इस विधानसभा सीट का महत्व और भी ज्यादा है। लोकसभा चुनावों में यहां से शत्रुघ्न सिन्हा और फिर रवि शंकर प्रसाद जैसे दिग्गज नेताओं ने अपनी पहचान बनाई।
वर्तमान राजनीति और समीकरण (2025 चुनाव)
2025 के विधानसभा चुनाव को लेकर इस सीट पर सियासी हलचल तेज है।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) –
भाजपा का यहां मजबूत संगठन और शहरी वोट बैंक है। व्यापारी वर्ग और उच्च मध्यवर्ग भाजपा के पारंपरिक वोटर माने जाते हैं।
राजद (RJD) –
युवा और अल्पसंख्यक वोट बैंक पर राजद का फोकस है। तेजस्वी यादव के नेतृत्व में पार्टी यहां अपनी पकड़ बनाने की कोशिश कर रही है।
जेडीयू (JDU) –
नीतीश कुमार की पार्टी के पास यहां विकास और सुशासन का एजेंडा है, लेकिन भाजपा के साथ गठबंधन या अलग लड़ने का फैसला समीकरण बदल सकता है।
कांग्रेस और छोटे दल –
कांग्रेस और वामपंथी दल यहां परंपरागत वोटों पर दावा करते हैं, लेकिन सीधी टक्कर में इनकी भूमिका सीमित ही रहती है।
2025 में कौन आगे?
राजनीतिक जानकारों के अनुसार, इस बार पटना साहिब में तीन-कोणीय मुकाबला होने के आसार हैं।
अगर बीजेपी-जेडीयू गठबंधन बरकरार रहा, तो भाजपा मजबूत दावेदार रहेगी।
अगर जेडीयू अलग होती है, तो समीकरण काफी बदल सकते हैं।
राजद का अल्पसंख्यक और युवा वोट बैंक निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
प्रमुख मुद्दे
विकास और शहरी बुनियादी ढांचा (सड़क, ट्रैफिक, रोजगार)।
युवाओं की बेरोजगारी।
स्मार्ट सिटी और गंगा रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट।
सामाजिक समीकरण – यादव, मुस्लिम और भूमिहार वोट बैंक सबसे अहम माने जा रहे हैं।
पटना साहिब विधानसभा सीट 2025 में बिहार चुनाव का केंद्र बिंदु बनेगी। यहां से जो भी पार्टी जीत दर्ज करेगी, उसका असर पूरे पटना जिले और राज्य की राजनीति पर पड़ेगा।
ALSO READ : Bihar Assembly Election 2025: क्या NDA में टूट की तैयारी? चिराग को CM बनाने की खुली वकालत