Bihar Election 2025: सीट बंटवारे पर बढ़ी टेंशन, क्या चिराग और कांग्रेस अकेले लड़ेंगे चुनाव ?

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Bihar Election 2025

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे सीट शेयरिंग को लेकर दोनों बड़े गठबंधनों — एनडीए और महागठबंधन — में टकराव और खींचतान तेज होती जा रही है। सहयोगी दलों की महत्वाकांक्षाएं आसमान छू रही हैं और हर दल खुद को सत्ता की कुंजी मानते हुए अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की जुगत में लगा है। नतीजा यह कि दोनों ही खेमों में बगावत की आहट साफ-साफ सुनाई देने लगी है।

महागठबंधन में कांग्रेस बनी सबसे बड़ी चुनौती

तेजस्वी यादव की अगुवाई वाले महागठबंधन के लिए सबसे मुश्किल मोर्चा कांग्रेस ने खोल दिया है। कांग्रेस शुरू से ही 70 सीटों पर लड़ने की मांग कर रही थी, लेकिन अब राहुल गांधी की ‘वोट अधिकार यात्रा’ के बाद पार्टी ने दबाव की राजनीति और तेज कर दी है। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस ने अब दो विकल्प तेजस्वी के सामने रखे हैं—

  • 50 सीटें और उपमुख्यमंत्री का पद
  • 70 सीटें, जिसमें ज्यादातर जिताऊ सीटें हों और हर जिले में कम से कम एक सीट मिले।

कांग्रेस का जोर खासतौर पर सीमांचल और शाहाबाद इलाकों पर है। साफ है कि इन मांगों को मानना आरजेडी के लिए आसान नहीं होगा। इसके अलावा वाम दलों ने भी 2020 के स्ट्राइक रेट का हवाला देते हुए इस बार 50 सीटों का दावा ठोंक दिया है, जिसमें 24 सीटों की लिस्ट आरजेडी को सौंप भी दी गई है। वहीं वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी भी 60 सीटों और एक डिप्टी सीएम पोस्ट की मांग कर चुके हैं।

NDA में चिराग पासवान का बढ़ता दबाव

दूसरी तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए में सबसे बड़ी चुनौती लोजपा (रामविलास) सुप्रीमो चिराग पासवान बनकर उभर रहे हैं। शुरुआत में उन्होंने 40 सीटों की डिमांड की थी, लेकिन अब यह आंकड़ा बढ़कर 100 से ज्यादा तक पहुंच गया है। चिराग के करीबी नेताओं का कहना है कि अगर एनडीए ने उनकी हिस्सेदारी नहीं बढ़ाई तो पार्टी बिहार की सभी 243 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी।



गौरतलब है कि 2020 में लोजपा के अकेले लड़ने के फैसले ने जदयू को तीसरे नंबर पर धकेल दिया था। यही वजह है कि इस बार भी एनडीए खेमे में चिराग का दबाव साफ दिख रहा है।

मांझी और कुशवाहा की डिमांड ने भी बढ़ाई BJP-JDU की परेशानी

एनडीए के अन्य सहयोगी जीतनराम मांझी 20 सीटों और उपेंद्र कुशवाहा 8-10 सीटों की मांग कर रहे हैं। यह सब मिलकर भाजपा और जदयू के लिए सिरदर्द बने हुए हैं। नीतीश कुमार और भाजपा की मुश्किल यह है कि सहयोगियों को नाराज करने का मतलब होगा वोट बैंक में सेंध लगना।

नतीजा क्या निकलेगा?

सीट बंटवारे पर यह जंग अभी थमने का नाम नहीं ले रही। महागठबंधन में तेजस्वी यादव के लिए कांग्रेस, माले और वीआईपी की महत्वाकांक्षा सिरदर्द है, वहीं एनडीए में नीतीश कुमार के लिए चिराग पासवान, मांझी और कुशवाहा की डिमांडें संकट खड़ा कर रही हैं।

अब असली सवाल यह है कि- क्या कांग्रेस और एलजेपी (रामविलास) आख़िरकार गठबंधन छोड़कर अकेले चुनाव लड़ेंगी?
या फिर सभी दल किसी समझौते की राह निकाल लेंगे?

बहरहाल, यह तो तय है कि 2025 का बिहार चुनाव केवल वोटों की लड़ाई ही नहीं बल्कि सीट बंटवारे की राजनीति का भी सबसे दिलचस्प मुकाबला बनने जा रहा है।

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