मिथिलांचल से सीमांचल तक कहां मजबूत है NDA, कहां महागठबंधन? जानिए 7 क्षेत्रों का पूरा सियासी गणित

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Bihar Assembly Election 2025

Bihar Assembly Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का महासंग्राम जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे एनडीए और महागठबंधन दोनों ही खेमे अपनी-अपनी रणनीतियों को धार दे रहे हैं। कोई अपने परंपरागत गढ़ों को बचाने में जुटा है तो कोई विरोधियों के गढ़ में सेंध लगाने की कोशिश कर रहा है। 2020 के चुनावी नतीजों ने साफ कर दिया था कि बिहार की राजनीति अब कांटे की टक्कर में सिमट चुकी है और मामूली वोट अंतर भी सत्ता बदल सकता है। यही वजह है कि इस बार भी दोनों गठबंधनों की निगाहें उन इलाकों पर टिकी हैं, जहां पिछली बार नतीजे बेहद नजदीकी रहे थे।

2020 का बड़ा सबक

243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में 2020 में एनडीए को 125 और महागठबंधन को 110 सीटें मिली थीं। लेकिन अगर इसे क्षेत्रवार नजरिए से देखें तो तस्वीर और भी दिलचस्प हो जाती है। कहीं एनडीए का किला अजेय दिखता है तो कहीं महागठबंधन ने गहरी पैठ बनाई है।

  1. अंग प्रदेश – NDA का मजबूत गढ़, पर RJD ने दी कड़ी चुनौती

अंग प्रदेश की 35 सीटों में से 18 पर एनडीए ने जीत दर्ज की। यहां उसका वोट शेयर 39% रहा। हालांकि आरजेडी भी 8 सीटों के साथ मजबूती से लड़ी और उसका वोट शेयर 35% तक पहुंचा। कांग्रेस को भी यहां 5 सीटें मिलीं। यानी मुकाबला दोतरफा नहीं बल्कि त्रिकोणीय रहा।

  1. कोसी – NDA और RJD के बीच सीधी भिड़ंत

कोसी की 20 सीटों में एनडीए ने 10 और आरजेडी ने 7 सीटें जीतीं। वोट प्रतिशत भी लगभग बराबर रहा—एनडीए 35% और आरजेडी 36%। कांग्रेस और लोजपा यहां हाशिए पर रहीं। 2025 में यह इलाका सीधी टक्कर का गवाह बनेगा।

  1. मगध – महागठबंधन का गढ़

2020 में मगध क्षेत्र की 47 सीटों में से महागठबंधन ने 30 सीटों पर कब्जा किया। एनडीए को केवल 17 सीटें मिलीं। वोट शेयर में भी आरजेडी (37.6%) एनडीए (34.5%) पर भारी रही। कांग्रेस को भी यहां 8 सीटें मिलीं। यह क्षेत्र महागठबंधन का मजबूत गढ़ बना हुआ है।

  1. मिथिलांचल – NDA का अजेय किला

मिथिलांचल की राजनीति 2020 में एनडीए के पक्ष में झुकी रही। यहां 30 सीटें एनडीए के खाते में गईं जबकि महागठबंधन केवल 15 सीटों पर सिमट गया। वोट शेयर भी 38% के साथ एनडीए के पक्ष में रहा। यहां RJD और कांग्रेस कमजोर साबित हुए।

  1. सीमांचल – मुस्लिम वोटरों का प्रभाव और कांटे की टक्कर

सीमांचल की 32 सीटों में महागठबंधन ने 13 और एनडीए ने 12 सीटें जीतीं। वोट शेयर भी लगभग बराबर रहा—एनडीए 29% और आरजेडी 33%। कांग्रेस को यहां 3 सीटों पर जीत मिली। AIMIM ने भी 5 सीटों पर कब्जा किया, हालांकि बाद में इसके 4 विधायक RJD में लौट आए। यह इलाका बिहार की राजनीति का टर्निंग प्वाइंट साबित हो सकता है।

  1. शाहाबाद – मामूली अंतर से NDA की बढ़त

शाहाबाद की 30 सीटों में एनडीए ने 19 और महागठबंधन ने 11 सीटें जीतीं। वोट शेयर में भी एनडीए 36% बनाम आरजेडी 34% से आगे रहा। यहां यह साफ हो गया कि छोटा-सा वोट अंतर भी सरकार की किस्मत तय कर सकता है।

  1. तिरहुत – NDA आगे, पर मुकाबला कड़ा

तिरहुत की 70 सीटों में एनडीए ने 36 और महागठबंधन ने 28 सीटें जीतीं। वोट प्रतिशत में भी एनडीए 40% के साथ आगे रहा। RJD ने 21 सीटें जीतीं, जिससे साफ है कि यह मुकाबला एकतरफा नहीं बल्कि बेहद कड़ा है।

2025 की रणनीति क्या होगी?

NDA: अंग, कोसी और शाहाबाद जैसे पारंपरिक गढ़ बचाने के साथ-साथ मगध और सीमांचल में सेंध लगाने की कोशिश करेगा।

महागठबंधन: तिरहुत और मिथिलांचल जैसे संतुलित इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहेगा।

कुल मिलाकर, बिहार चुनाव 2025 का गणित बताता है कि कोई भी गठबंधन पूरे राज्य में सर्वेसर्वा नहीं है। हर क्षेत्र का अलग सियासी समीकरण है और यही वजह है कि इस बार भी बिहार का चुनावी महासंग्राम रोमांच और कांटे की टक्कर से भरा होगा।

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