
Bihar Chunav 2025: बिहार की राजनीति में लालू यादव परिवार की अंदरूनी कलह अब खुलेआम सामने आ गई है। लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव ने बगावत का बिगुल फूंकते हुए अपनी नई पार्टी “जनशक्ति जनता दल” की घोषणा कर दी है। इस कदम ने न केवल RJD के भीतर अस्थिरता बढ़ा दी है बल्कि चुनावी समीकरणों को भी झकझोर कर रख दिया है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या तेजप्रताप की यह बगावत, छोटे भाई तेजस्वी यादव के लिए सिरदर्द साबित होगी?
12 साल बाद परिवार में फूट
गौरतलब है कि 15 मई 2013 को पटना के गांधी मैदान में, लालू प्रसाद यादव ने हजारों कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में अपने दोनों बेटों तेजस्वी और तेजप्रताप- को राजनीति में लॉन्च किया था। उस वक्त शायद ही किसी ने सोचा होगा कि 12 साल बाद लालू परिवार में राजनीतिक बिखराव देखने को मिलेगा। अब तेजप्रताप यादव ने न सिर्फ नई पार्टी बना ली है, बल्कि सीधे तेजस्वी पर हमलावर भी हैं।
“गरीब का नेता” बनने का दावा
नई पार्टी का ऐलान करते हुए तेजप्रताप ने खुद को “गरीबों का नेता” बताया। उन्होंने कहा कि वह पैदल जनता के बीच जाएंगे, उनकी समस्याएं सुनेंगे और उन्हें न्याय दिलाएंगे।
तेजप्रताप का कहना है कि – मेरे रगों में लालू यादव का खून है, इसलिए जनता को लालू यादव की याद में मुझे वोट देना चाहिए। यानी साफ है कि वह अपने पिता की राजनीतिक विरासत को हथियाने की कोशिश कर रहे हैं।
RJD के कोर वोट बैंक पर सीधा खतरा
विश्लेषकों का मानना है कि तेजप्रताप की पार्टी भले ही बहुत बड़ी ताकत न बने, लेकिन वह RJD के पारंपरिक वोटबैंक में सेंध जरूर लगा सकते हैं।
2020 विधानसभा चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि RJD ने लगभग 15 सीटें बेहद कम अंतर से जीती थीं, जिनमें से कई सीटों पर जीत का अंतर 5000 वोटों से भी कम था। उदाहरण के लिए, डेहरी सीट पर RJD ने महज 81 वोट से जीत हासिल की थी। कुरहनी में 480 वोट, सिवान में 1561 वोट और सिमरी बख्तियारपुर में 1474 वोट से जीत मिली थी।
वहीं कई सीटों पर RJD मामूली अंतर से हार भी गई थी। कल्याणपुर सीट पर तो JDU प्रत्याशी ने RJD उम्मीदवार को सिर्फ 1 वोट से हराया था। हिलसा सीट पर अंतर सिर्फ 13 वोट का रहा। ऐसे में अगर तेजप्रताप 12-15 हजार वोट भी अलग कर ले जाते हैं, तो कई सीटों पर RJD का समीकरण बिगड़ सकता है।
NDA को मिल सकता है राजनीतिक हथियार
तेजप्रताप की बगावत का सीधा फायदा NDA (BJP-JDU गठबंधन) को मिल सकता है। विरोधी दल इस विवाद को तेजस्वी यादव की राजनीतिक असफलता के तौर पर पेश कर सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, अगर NDA इसे सही ढंग से कैश करता है तो चुनाव में RJD को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
तेजस्वी का डैमेज कंट्रोल
तेजस्वी यादव भी इस खतरे को भलीभांति समझ रहे हैं। हाल ही में बहन रोहिणी आचार्य की नाराजगी पर उन्होंने कहा कि- रोहिणी और मीसा भारती ने हमेशा पार्टी को मजबूत किया है, उन्होंने कभी निजी स्वार्थ नहीं साधा। तेजस्वी का यह बयान साफ करता है कि वह परिवार की एकजुटता दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि जनता में गलत संदेश न जाए।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले तेजप्रताप की यह बगावत, RJD के लिए सबसे बड़ा संकट बनकर उभरी है। जहां NDA इसे भुनाने की रणनीति बना रहा है, वहीं तेजस्वी यादव को न केवल विपक्ष का मुकाबला करना है, बल्कि अब अपने ही बड़े भाई के ‘प्रतापी तेज’ से बचाव भी करना होगा।
ALSO READ – Bihar Election 2025: क्या है अमित शाह का ‘ट्रिपल M’ फॉर्मुला, 225 सीटों के मिशन पर BJP एक्टिव