बाहुबली नेता उदयभान करवरिया की रिहाई की कहानी, उम्रकैद या मजाक?

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उदयभान करवारिया
जहां माफियाओं का चरित्र देखकर, शासन-प्रशासन का हो जाता है हृदय-परिवर्तन। जहां अपराधों की इमारत पर खड़े बाहुबली-माफिया,आसानी से बदल लेते हैं सज्जनता रूपी भेष। तो भैया चौकिये मत! यही तो है अपना उत्तरप्रदेश। जी हां, AK-47 से 3 हत्या और महज पौने 9 साल की उम्रकैद। अगर नहीं समझे आप तो आईये बताते हैं, बाहुबली नेता उदयभान करवरिया की रिहाई की ये कहानी।
 
खबरों के खिलाड़ी। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में बाहुबली उदयभान करवरिया को सजा की समयावधि से पहले ही उनके अच्छे आचरण को देखते हुए रिहाई का आदेश दिया गया है। जबकि वास्तव में उदयभान करवरिया को जवाहर पंडित हत्याकांड में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। तो आईये उदयभान करवरिया के रिहाई की ये दिलचस्प कहानी शुरू करते हैं। आश्चर्य है! 08 साल 09 महीने 11 दिन। देश में उम्र कैद की सजा कुल मिलाकर अब बस इतनी ही है। फिर चाहे आपने तीन-तीन कत्ल क्यों ना किए हों? बिल्कुल भी चौकिये मत! यकीन ना हो तो यूपी के बाहुबली नेता उदयभान करवरिया को देख लीजिए। जो भाजपा के टिकट पर दो-दो बार विधायक भी रह चुके हैं। इनके उपर अपने ही जैसे एक विधायक, उसके ड्राइवर और एक राहगीर को एके-47 से छलनी कर देने का इल्ज़ाम था। अर्थात इनके सर पर कुल तीन-तीन कत्ल के इल्जाम और अदालत ने तीन कत्ल के लिए बाकायदा इन्हें और इनके रिश्तेदारों को सिर्फ पांच साल पहले ही उम्र कैद की सजा भी सुनाई थी।
 
हालांकि अदालत के सजा सुनाए जाने से तीन साल पहले ये पकड़े गए और जेल चले गए थे। बता दें कि, 30 जुलाई 2023 तक इनके जेल में बिताए दिन की कुल गिनती थी 08 साल 09 महीने 11 दिन। अब चूंकि इनको उम्रकैद की सजा हुई थी, तो इनकी पूरी उम्र जेल में ही कटनी चाहिए थी। लेकिन यूपी सरकार ने बड़ा दिल दिखाते हुए कहा कि, इनका आचरण बहुत अच्छा है और जेल में भी वह शरीफों की तरह रहे। इतना ही नहीं, जेल ने खुद इनकी शराफत का सर्टिफिकेट दिया। साथ हीं डीएम साहब ने भी रिपोर्ट दे दी कि इनको जेल से आजाद करने में कोई दिक्कत नहीं है। फिर क्या था? यूपी सरकार ने इनकी रिहाई का फरमान राज्यपाल के पास भेजा। ऐसे में अब राज्यपाल भी क्या करते, रिहाई के फरमान पर दस्तखत कर दिया। लिहाजा, अब बस जेल का दरवाजा खुला और उदयभान करवरिया उम्र कैद की सजा में से अपनी सारी उम्र बचा कर जेल से बाहर आ गए। तो हुई ना 08 साल 09 महीने और 11 दिन की उम्र कैद।
 
खैर ये छोड़िए, कुछ और भी बताते हैं। अभी साल भर भी तो नहीं हुआ है, जब यूपी के एक और विधायक अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी के उम्रकैद में से भी एक लंबी उम्र यूपी सरकार ने चुरा ली थी। इनदोनों को भी उम्रकैद की सजा हुई थी मधुमिता मर्डर केस में। ये दोनों तो और भी कमाल के निकले। उम्र कैद का एक बड़ा हिस्सा जेल की बजाय अस्पताल में काटी और फिर यूपी सरकार ने एक फरमान से इनके उम्र कैद की उम्र ही छोटी कर दी। कायदे से देखें तो हत्या के मामले में, या तो मौत की सजा मिलती है या फिर उम्र कैद। उससे कम तो कोई सजा है ही नहीं हमारे कानून में, लेकिन उम्र कैद आठ साल, नौ महीने और ग्यारह दिन की हो, शायद इसकी कोई दूसरी मिसाल भी न मिले आपको।
 
यह बात 90 के दशक की है। तब प्रयागराज में एक विधायक हुआ करते थे, जवाहर यादव उर्फ जवाहर पंडित। बालू के ठेके को लेकर जवाहर पंडित की दुश्मनी करवरिया परिवार से थी। और 13 अगस्त 1996 को जवाहर पंडित को दिन दहाड़े प्रयागराज में गोलियों से छलनी कर दिया गया था। वारदात के वक्त जवाहरअपनी गाड़ी में ड्राइवर के साथ जा रहे थे। तभी करवरिया बंधुओं ने एके-47 से उन पर गोलियां दाग दी। इस गोलीबारी में जवाहर पंडित और उनके ड्राइवर के साथ-साथ एक राहगीर की भी मौत हो गई थी। एफआईआर में उदयभान, उनके भाई कपिल मुनि, चाचा सूरजभान और उनके साथी रामचंद्र त्रिपाठी उर्फ कल्लू का नाम दर्ज था। 01 जनवरी 2014 को उदयभान ने सरेंडर कर दिया। इसके बाद में उसके भाई भी जेल चले गए।
 
कोर्ट ने उदयभान को उसके भाइयों सूरजभान, कपिलमुनि और चाचा रामचंद्र सहित दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई। तब से उदयभान अपने भाइयों के साथ प्रयागराज के ही नैनी जेल में बंद था। यानी कायदे से उम्र कैद की सजा के ऐलान के बाद, उसे जेल में सजा काटते हुए पांच साल ही हुए। बाकी के चार साल अदालती फैसले से पहले के हैं। इसके बावजूद तीन-तीन हत्या के गुनहगार उदयभान को इतनी जल्दी यूपी सरकार ने रिहा करने का फैसला ले लिया। अब जाहिर है उदयभान के बाद, उसी जवाहर पंडित मर्डर केस में उम्र कैद की सजा पाने वाले उसके बाकी भाइयों की रिहाई का भी रास्ता साफ हो जाएगा, क्योंकि सभी एक ही जुर्म में शामिल थे। लेकिन उदयभान करवरिया की ये रिहाई, एक तरह से कानून का मजाक भी है।
 
मजाक तो यह भी है कि, एक आंकड़े के मुताबिक यूपी के जेलों में इस वक्त 12 हजार से ज्यादा ऐसे कैदी हैं, जिन्हें उम्रकैद की सजा मिली है। इनमें से कई तो ऐसे हैं, जो 20-25 सालों से जेल में हैं और कइयों की उम्र 70 वर्ष से ज्यादा है। इन सबके भी जेल में अच्छे व्यवहार हैं। लेकिन इनकी सुनने वाला कोई नहीं है। क्योंकि ये किसी पार्टी के नेता नहीं हैं। लेकिन जिस तरह से पहले अमरमणि त्रिपाठी और उसकी पत्नी, बिहार में बाहुबली आनंद मोहन और अब उदयभान करवरिया को वक्त से पहले सरकारें रिहाई दे रही हैं। उससे ये सवाल जरूर खड़ा होता है कि, क्या उम्रकैद की सजा महज मजाक है? क्या उम्र कैद की सजा सिर्फ 8 साल 9 महीने और 11 दिन होती है? आप पाठकों को क्या लगता है? अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर दें।

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