लव-जिहाद और धर्मांतरण कानून पर घिरे योगी आदित्यनाथ

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धर्मांतरण कानून
कहा जाता है कि जब बुरे दिन चल रहे हो, तो ऊंट पर बैठे इंसान को भी कुत्ता काट लेता है। कुछ ऐसा ही चल रहा है उत्तरप्रदेश में। विगत कुछ महीनों से, जब से यूपी में लोकसभा चुनाव परिणाम भाजपा के लिए निम्न और अप्रत्याशित रहा। तभी से, सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही है। एक तरफ जहां, सीएम योगी और भाजपा आलाकमान के बीच महायुद्ध छिड़ा है। वहीं दूसरी तरफ, योगी आदित्यनाथ अपने हर फैसले पर मात खा रहे हैं। चाहें केशव मौर्य के साथ सीएम के विवाद की खबरें हों या कावड़ यात्रा की राह में दुकानदारों द्वारा नेम-प्लेट लगाने का मामला हो। हर जगह महाराज योगी की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।
 
खबरों के खिलाड़ी। योगी सरकार के नए लव-जिहाद और धर्मांतरण क़ानून पर विवाद हो रहा है। आखिर, ऐसा क्या है नए धर्मांतरण कानून में? जिसे लेकर योगी सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा। तो आईये बताते हैं, नए धर्मांतरण कानून के बारे में सबकुछ, एकदम विस्तार से। बता दें कि, उत्तरप्रदेश में एक बार फिर धर्मांतरण को लेकर मुद्दा गर्म है। हाल ही में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली प्रदेश की भाजपा सरकार ने विधानसभा में धर्मांतरण संशोधन विधेयक पास करा लिया है और इस संशोधन विधेयक में धर्मांतरण को लेकर सज़ा का प्रावधान बढ़ा दिया गया है। इस विधेयक का नाम “उत्तरप्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 2024” रखा गया है। इस विधेयक में तथ्यों को छिपाकर या डरा-धमकाकर, धर्म परिवर्तन कराने को अपराध की श्रेणी में रखा गया है, जिसमें उम्रक़ैद की सजा प्रावधान किया गया है। इस बिल में कहा गया है कि, धर्म परिवर्तन के लिए विदेश से फ़ंड लेना या किसी भी अवैध संस्था से फ़ंड लेना, अपराध के दायरे में माना जाएगा और इसमें भी सज़ा का प्रावधान बढ़ाया गया है।
 
बता दें कि, सोमवार को जब ये विधेयक विधानसभा में पेश किया गया था, तब से ही इसको लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं और इसे लेकर पक्ष और विपक्ष में तर्क दिए जा रहे हैं। योगी सरकार की तरफ़ से विधेयक के मक़सद को लेकर कहा गया है की, अपराध की संवेदनशीलता, महिलाओं की गरिमा व सामाजिक स्थिति; एससी, एसटी आदि का अवैध धर्मांतरण रोकने के लिए यह जरूरी कदम है। सरकार के मुताबिक़, इस श्रेणी के अपराध में सज़ा और जुर्माने को अत्यधिक कड़ा करने की ज़रूरत है, इसीलिए यह विधेयक लाया जा रहा है। एक तरफ सरकार की तरफ़ से कहा जा रहा है कि, महिला सुरक्षा को लेकर सरकार चिंतित है। वहीं विपक्ष और समाजशास्त्री इसे काला कानून बताकर, योगी के राजनैतिक लाभ की मंशा बता रहे हैं। बता दें कि, राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माताप्रसाद पांडे ने इस क़ानून के दुरुपयोग को लेकर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा, “बिल में झूठी शिकायत करने पर भी सख़्त कार्रवाई का प्रावधान होना चाहिए।
 
हालांकि, इस सवाल पर संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि मौजूदा क़ानून में झूठी शिकायत करने वाले के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई का प्रावधान है। बिल में प्रस्तावित किया गया है कि, कोई भी व्यक्ति डरा-धमकाकर या जान माल की हानि की धमकी देकर धर्म परिवर्तन कराता है, तो इसे गंभीर अपराध की श्रेणी में माना जाएगा। साथ ही अगर कोई व्यक्ति लव-जिहाद अर्थात धर्म परिवर्तन के इरादे से शादी करता है या नाबालिग़ लड़की या महिला की मानव तस्करी करता है, तो उसे 20 साल तक की सज़ा हो सकती है। इस बिल के क़ानून बन जाने पर धर्म परिवर्तन की शिकायत कोई भी कर सकता है। जबकि, इससे पहले वाले क़ानून में पीड़ित या उसके भाई या फिर माता-पिता ही शिकायत दर्ज करा सकते थे। इस तरह की शिकायत होने पर ये ग़ैर ज़मानती अपराध होगा और इसकी सुनवाई सेशन कोर्ट से नीचे की अदालत नहीं कर सकती है, वहीं ज़मानत पर फ़ैसला बिना अभियोजन को सुने नहीं दिया जा सकता है। इस विधेयक के अनुसार, कोर्ट पाँच लाख तक का जुर्माना भी लगा सकता है, जो पीड़ित व्यक्ति को उपलब्ध कराया जाएगा।
 
वहीं, कांग्रेस विधायक दल की नेता अराधना मिश्रा ने संविधान का हवाला देते हुए मांग की है कि, इसको लेकर एक कमिशन बनाया जाना चाहिए। जो इस बात की जाँच करे कि शिकायत सही है या नहीं, क्योंकि ये संवेदनशील मुद्दा है। आगे अराधना ने कहा, “हम ये मानते हैं कि जबरन धर्म परिवर्तन एक गंभीर अपराध है। लेकिन सरकार को सावधानी बरतना चाहिए क्योंकि हमेशा ये जबरन नहीं होता, कभी स्वेच्छा से भी होता है। बता दें कि, प्रदेश में इस संशोधित विधेयक के ख़िलाफ़ कई तरह के तर्क दिए जा रहे हैं। विधानसभा में समाजवादी पार्टी की विधायक डॉ. रागिनी सोनकर ने बीबीसी से बातचीत में कहा,”ये पूरी तरह से संविधान के ख़िलाफ़ है, क्योंकि दो युवा अगर अपनी मर्ज़ी से शादी करते हैं, तो उसमें कोई हर्ज नहीं है। अगर इनके माँ बाप भी राजी हैं, तो तीसरे व्यक्ति के शिकायत का क्या मतलब है।
 
वहीं, योगी के इस बिल को लेकर समाजशास्त्री प्रोफ़ेसर रमेश दीक्षित ने बीबीसी से कहा कि है कि प्रदेश में मसला बेरोज़गारी का है, लेकिन सरकार इस सबसे हटकर ‘लव जिहाद’ की बात कर रही है। प्रोफेसर रमेश दीक्षित के मुताबिक़, “दिल्ली और प्रदेश की सरकार की सिर्फ़ एक चिंता है कि, कैसे मुसलमानों को परेशान किया जाए। अगर दो लोग प्रेम करने के बाद शादी कर लेते हैं, तो उसमें समस्या क्या है? इसको ‘लव जिहाद’ कह देना अनुचित है। प्रोफ़ेसर दीक्षित का यह भी कहना है कि धर्म परिवर्तन की घटनाएँ 100 साल पहले होती थीं, अब नहीं होती है। कोई अपनी इच्छा से धर्म नहीं छोड़ता, उसकी कई वजहें होती हैं। तो हमने आपको बताया नए धर्मांतरण कानून से जुड़े नए तथ्य और इसे लेकर हो रहे वाद-विवाद के बारे में सबकुछ। लेकिन सवाल योगी सरकार की विश्वसनीयता पर उठ रहा है, इस कानून को लेकर आपके क्या विचार हैं, कमेंट बॉक्स में जवाब जरूर दीजिये।

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