
Bihar Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की आहट तेज होते ही, सत्ता पक्ष राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में सीट शेयरिंग को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। NDA के दो अहम सहयोगी दल- लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख व केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान और हिन्दुस्तान अवाम मोर्चा (HAM) के संस्थापक जीतनराम मांझी- एकबार फिर आमने-सामने आ गए हैं।
सीट शेयरिंग पर टकराव
NDA में इस समय JDU और BJP के साथ-साथ तीन छोटे दल शामिल हैं- चिराग पासवान की LJP(R), जीतनराम मांझी की HAM और उपेंद्र कुशवाहा की RLSP। इन पाँचों दलों के बीच सीटों का बंटवारा सबसे बड़ी चुनौती बन गया है।
सूत्रों के मुताबिक-
चिराग पासवान की डिमांड है 40-45 सीटों की है। वहीं जीतनराम मांझी अपनी पार्टी के लिए 15-20 सीटों की मांग कर रहे हैं। लेकिन दोनों की मांगें बीजेपी-जेडीयू गठबंधन को रास नहीं आ रही हैं। यही वजह है कि NDA का अंदरूनी समीकरण फंसता जा रहा है।
मांझी का चिराग पर हमला
हाल ही में जीतनराम मांझी ने चिराग पासवान को निशाने पर लेते हुए कहा कि वह चिराग का “चाल और चरित्र 2020 से जानते हैं”। मांझी ने संकेत दिए कि चिराग पर भरोसा करना आसान नहीं है, लेकिन NDA को मजबूत करने के लिए सबको साथ आना जरूरी है।
चिराग के बहनोई का पलटवार
इसके बाद चिराग पासवान के जीजा और सांसद अरुण भारती ने X (Twitter) पर पलटवार किया। उन्होंने लिखा –
“हम 2020 में अकेले लड़े और 137 सीटों पर चुनाव लड़कर 6% वोट हासिल किए। अगर सभी सीटों पर लड़ते तो यह आंकड़ा 10% तक पहुंच जाता। यही सबूत है कि LJP(R) अकेले चुनाव लड़ने का माद्दा रखती है।”
अरुण भारती ने साफ किया कि चिराग की ताकत को देखते हुए, NDA में उनकी पार्टी को ज्यादा सीटें मिलना स्वाभाविक है।
क्यों भिड़ते हैं मांझी और चिराग?
- यह पहला मौका नहीं है जब दोनों दल आमने-सामने आए हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इसके पीछे दो बड़ी वजहें हैं-
- ज्यादा सीटों की चाह – मांझी और चिराग दोनों चाहते हैं कि उनकी पार्टी को ज्यादा सीटें मिलें।
- दलित राजनीति का बड़ा चेहरा बनने की होड़ – दोनों ही नेता खुद को दलित और महादलित राजनीति का सबसे बड़ा प्रतिनिधि साबित करना चाहते हैं।
NDA की मुश्किलें
HAM का दावा है कि उनके पास 3% वोटबैंक है।
जबकि LJP(R) का कहना है कि उनके पास 5% वोटबैंक और ज्यादा सांसद हैं।
दोनों की यह खींचतान NDA के लिए सिरदर्द बन चुकी है। क्योंकि NDA को चुनाव में दलित और महादलित वोटबैंक को साधना है। लेकिन अगर दोनों दलों में खींचतान बढ़ती रही, तो विपक्ष को इसका फायदा मिल सकता है।
अब सबकी नजर BJP-JDU पर
अब सबकी निगाहें BJP और JDU पर हैं कि वे सीट शेयरिंग के इस विवाद को कैसे सुलझाते हैं। फिलहाल मांझी और चिराग की तनातनी ने NDA के भीतर असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है।